महात्रिफलादि घृत
यह हर तरह के नेत्ररोगों की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है. आँखों रोग जैसे रतौंधी, रौशनी की कमी, आँख का दर्द, कम दिखाई देना, रौशनी में आंख न खुलना, रोहे बनना, आँखे लाल होना, सुजन जैसी प्रॉब्लम में इसे सप्तामृत लौह के साथ सेवन करने से अच्छा लाभ होता है.
महात्रिफलादि घृत की मात्रा और सेवन विधि – पाँच से दस ग्राम तक बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रोज़ सुबह-शाम लेना चाहिए.
विशेष – इसका सेवन करते हुए नेत्र ज्योतिवर्द्धक सुरमा लगाने और ‘चक्षुस्य कैप्सूल’ का सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है.
Packing- 100 ML
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