एकांगवीर रस
लकवा या पक्षाघात, एकांगवात, अर्धांगवात, साइटिका इत्यादि वात रोगों की यह प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है. पक्षाघात में इसका विशेष उपयोग किया जाता है.
मात्रा और सेवन विधि – एक से दो गोली तक सुबह-शाम शहद या वातनाशक किसी क्वाथ के साथ
पैकिंग – 10 ग्राम loose
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