गन्धक रसायन का मुख्य घटक गन्धक होता है. यह चर्मरोगों के लिए आयुर्वेद की पॉपुलर दवाओं में से एक है, आयुर्वेदिक चिकित्सक स्किन डिजीज में इसे प्रमुखता से प्रयोग करते हैं. यह एक बेहतरीन रक्तशोधक या खून साफ़ करने वाली दवा है. यह छोटे-बड़े हर तरह के चर्मरोगों में असरदार है. आयुर्वेदानुसार यह अट्ठारह तरह के कुष्ठरोग को दूर करता है. खाज-खुजली, फोड़े-फुन्सी, शीतपित्त या पित्ती उछलने से लेकर एक्जिमा, सोरायसिस, सफ़ेद दाग और कुष्टव्याधि तक इस दवा से दूर होते हैं. यह बालों का गिरना और सफ़ेद होना भी रोकता है.
गन्धक रसायन की मात्रा और सेवन विधि – 500mg से 1 ग्राम तक सुबह-शाम दूध, पंचतिक्त घृत, खदिरारिष्ट या दूसरी रक्तशोधक दवाओं के साथ देना चाहिए.
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