मूत्ररोगों की यह आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि है. मूत्र संस्थान और वीर्यवाहिनी नाड़ियों पर इसका सबसे ज़्यादा असर होता है. इसके सेवन से प्रमेह, मूत्ररोग, पेशाब की जलन, किडनी और ब्लैडर की पत्थरी, प्रोस्टेट ग्लैंड की वृद्धि, शुक्रदोष और वीर्य विकार दूर होते हैं. यह मूत्रल है यानी पेशाब साफ़ लाती है और तासीर में ठण्डा मान सकते हैं.
गोक्षुरादि गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि – दो गोली रोज़ दो-तीन बार तक गोखुरू के काढ़े से देना चाहिए.
Packing- 50gm
Reviews
There are no reviews yet