प्रवाल पंचामृत रस(मोती युक्त) पित्त रोगों की आयुर्वेद की प्रसिद्ध औषधि है. यह तासीर में ठण्डी, तेज़ और क्षारीय होता है. पित्ताशय या गॉल ब्लैडर, लिवर, स्प्लीन और पेट पर इसका सबसे ज़्यादा असर होता है. यह हर तरह के गुल्म, अम्लपित्त, संग्रहणी, दस्त, प्रमेह, हृदय रोग, भूख की कमी, लिवर-स्प्लीन बढ़ना, पेट की बीमारी और खाँसी वगैरह दूर करता है.
प्रवाल पंचामृत रस की मात्रा और सेवन विधि – 125mg से 250mg तक सुबह-शाम शहद या रोगानुसार उचित अनुपान से देना चाहिए.
Packing- 5 gram (powder form)
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