स्वर्ण भस्म(सुवर्ण भस्म)
सोना या गोल्ड को ही आयुर्वेद में स्वर्ण कहते हैं. सोने जैसे धातु से बनायी जाने वाली यह भस्म कीमती तो है ही साथ ही बेहद असरदार है. स्वर्णयुक्त दवाएँ आयुर्वेद की शान हैं. सोना को पूरी दुनिया में गहने के रूप में भी पहना जाना है और सोने के वर्क को मिठाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है.
स्वर्ण भस्म त्रिदोष नाशक है, जिस से हर तरह की बीमारी दूर होती है. यह तासीर में ठण्डा, बल-वीर्य बढ़ाने वाला, दिल-दिमाग को ताक़त देने वाला, कीटाणु नाशक और रसायन है. छोटी-बड़ी हर तरह की बीमारी में स्वर्ण भस्म या स्वर्णयुक्त औषधियाँ बेहद असरदार होती हैं.
यह टी. बी., धातुरोग, जीर्ण ज्वर, खाँसी, अस्थमा, जलन, प्रमेह, हर तरह का प्रदर, ह्रदय रोग, मस्तिष्क रोग, नर्व के रोग, शीघ्रपतन, नपुंसकता जैसी अनेकों बीमारियो को दूर करता है.
स्वर्ण भस्म की मात्रा और सेवन विधि – 5mg से 25mg तक शहद, मक्खन-मलाई या रोगानुसार उचित अनुपान से देना चाहिए.
पैकिंग – 100 mg
ब्राण्ड- धूतपापेश्वर
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