कामदुधा रस(न.1) मोती युक्त
पित्त दोष बढ़ने और पित्तज विकारों की यह आयुर्वेद की जानी-मानी औषधि है. पित्त विकारों में यह बेजोड़ है. रक्तवाहिनी, वातवाहिनी नाड़ी और मूत्राशय पर इसका सबसे ज़्यादा असर होता है. रक्तपित्त, एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, बॉडी की जलन, सर दर्द जैसे पित्त प्रकोप वाली बीमारीओं में यह रामबाण की तरह असर करता है.
कामदुधा रस की मात्रा और सेवन विधि – 250mg से 750mg तक शहद, मलाई, आँवला के रस या रोगानुसार अनुपान से देना चाहिए.
पैकिंग – 5 ग्राम
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