प्रदर रोग और गर्भाशय विकारों की यह प्रसिद्ध औषधि है. यह सफ़ेद, लाल और पीले हर तरह के प्रदर को नष्ट करता है. हाथ-पैर की जलन, गर्भाशय के विकार और पीरियड की प्रॉब्लम इस से दूर होती है. इसे पत्रांगासव, लोध्रासव, अशोकारिष्ट और सुपारी पाक जैसी दवाओं के साथ लेने से बेजोड़ फ़ायदा मिलता है.
पुष्यानुग चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि- दो से चार ग्राम शहद या चावल के धोवन से लेना चाहिए.
Reviews
There are no reviews yet