जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक त्रिफला और शुद्ध गुगुल होता है
त्रिफला गुगुल का इस्तेमाल दर्द, सुजन, बवासीर, ज़ख्म और वज़न कम करने के लिए किया जाता है, इसके प्रयोग से वात और कफ़ दोष ठीक होते हैं
सबसे पहले जान लेते हैं की त्रिफला गुगुल में क्या क्या मिलाया जाता है –
शारंगधर संहिता का यह आयुर्वेदिक योग है इसमें हर्रे, बहेड़ा, आँवला और पीपल के अलावा शुद्ध गुगुल मिलाया जाता है
त्रिफला गुगुल के फ़ायदे –
यह एक बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट भी है, शरीर से toxins को निकालता है
त्रिफला गुगुल पाचन शक्ति को ठीक करता है और कब्ज़ नहीं होने देता जिस से बवासीर और फिस्चुला में भी फ़ायदा होता है
कफ़ और वात दोष को कम करता है जिस से जोड़ों और मांशपेशियों का दर्द, सुजन, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल में फ़ायदा होता है
शरीर के मेटाबोलिज्म को ठीक करता है और ब्लड सर्कुलेशन को नार्मल करता है
अल्सर, फोड़े-फुंसी और ज़ख्म, साइनस इत्यादि में भी फ़ायदे मंद है
अब बताता हूँ कि त्रिफला गुगुल पर मेरा अनुभव-
शरीर में कहीं भी ज़ख्म हो, फोड़ा हो जिस से पस भी निकलता हो तो वैसे में त्रिफला गुगुल के इस्तेमाल से अच्छा फ़ायदा होता है
ऐसी Condition में अक्सर लोग ज़ख्म को सुखाने के लिए एंटी बायोटिक लेते हैं, पर त्रिफला गुगुल भी बिल्कुल एंटी बायोटिक की तरह काम करता है और वह भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के
कान बहने में भी त्रिफला गुगुल के इस्तेमाल से फ़ायदा होता है
त्रिफला गुगुल की सेवन विधि और मात्रा –
2 से 4 गोली तक दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए
पूरी तरह से सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है, लम्बे समय तक लेने से भी किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है
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