खून की ख़राबी या रक्तदुष्टि या रक्तविकार दूर करने यह बेजोड़ दवा है. इसके सेवन से वातरक्त, हर तरह के चर्मरोग, फोड़े-फुन्सी, ट्यूमर, भगन्दर, मुँह के छाले, उपदंश, सुजाक, कुष्ठव्याधि, एक्जिमा, सोरायसिस और ज़ख्म जैसे रोग दूर होते हैं.
चोपचिन्यादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि – तीन से छह ग्राम सुबह-शाम विषम मात्रा में शहद और घी के साथ लेना चाहिए.
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