स्वर्णवसंतमालती रस
आयुर्वेदिक ग्रंथो में इसे “सर्वरोगे वसन्तः” कहा गया है यानि हर तरह के रोगों को दूर करने वाली औषधि. यह आयुर्वेद की प्रसिद्ध चमत्कारीक रसायन औषधि है जो प्रत्येक धातु की विकृति को दूर शरीर को स्थाई रूप से निरोगी, उर्जावान और बलवान बनाती है. आयुर्वेदानुसार यह दीपन, पाचन और रसायन गुणों से भरपूर औषधि है. यह जीर्ण ज्वर, सप्तधातुगत ज्वर, फेफड़े के रोग, टी. बी., बीमारी के बाद की कमज़ोरी, जौंडिस, पांडू, गण्डमाला, आंत की टी. बी., सुजन, बच्चों का सुखा रोग, महिलाओ के रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर जैसे कई तरह के रोगों को दूर करती है. इसे जनरल टॉनिक की तरह भी यूज़ कर सकते हैं.
स्वर्णवसंतमालती रस की मात्रा और सेवन विधि – 125mg से 375mg तक सुबह-शाम शहद, मक्खन-मलाई या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए.
Packing- 5 gram
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